प्रश्न - न्यग्रोध परिमंडल संस्थान किसे कहते हैं ?
उत्तर -बड के पेड़ को न्यग्रोध कहते हैं ।जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर बड़ के पेड़ की भांति नाभि के ऊपर मोटा और नीचे पतला होता है उसे न्यग्रोध परिमंडल संस्थान कहते हैं।
प्रश्न - स्वाति संस्थान किसे कहते हैं ?
उत्तर -स्वाति का अर्थ सर्प की बाँबी है ।जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर सर्प की बाँबी की तरह ऊपर पतला और नीचे मोटा होता है वह स्वाति संस्थान है।
प्रश्न - वामन संस्थान किसे कहते हैं ?
उत्तर -जिस कर्म के उदय से शरीर बौना या नाटा रह जाता है , वह वामन संस्थान है।
प्रश्न - कुब्जक संस्थान किसे कहते हैं ?
उत्तर -जिस कर्म के उदय से शरीर में कूब निकल जाती है अर्थात कुबड़ा शरीर होता है वह कुब्जक संस्थान है।
प्रश्न - हुण्डक संस्थान किसे कहते हैं ?
उत्तर -शरीर का बेडौल या विषम आकृति वाला होना हुण्डक संस्थान है।
प्रश्न- हुण्डक संस्थान वाला किनका शरीर होता है?
उत्तर- नारकियों का शरीर
प्रश्न - अंगोपांग नाम कर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर -जिस कर्म के उदय से शरीर के अंगों (2 हाथ , 2 पैर , नितम्ब , पीठ , हृदय , मस्तक ) और उपांगों (अंगुली, कान , नाक ,आँख आदि ) की रचना होती है , वह अंगोपांग नाम कर्म है ।
प्रश्न -अंगोपांग नाम कर्म कितने प्रकार का है ?
उत्तर -3 प्रकार के होते हैं।
औदारिक शरीर अंगोपांग , वैक्रियक शरीर अंगोपांग , आहारक शरीर अंगोपांग।
प्रश्न - आनुपूर्वी नाम कर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर -एक देह को त्याग कर के नवीन देह धारण करने के लिए जीव की जो गति होती है वह विग्रह गति होती है ।जिस कर्म के उदय से नवीन गति में जाने हेतु जीव के पूर्व शरीर का आकार बना रहता है वह आनुपूर्वी नाम कर्म है ।
प्रश्न - आनुपूर्वी नाम कर्म कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर -चार प्रकार का होता है
नरक गत्यानुपूर्वी , मनुष्य गत्यानुपूर्वी , तिर्यंच गत्यानुपूर्वी , देव गत्यानुपूर्वी।
प्रश्न -संहनन नाम कर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर -जिस कर्म के उदय से हड्डियों का बन्धन विशेष होता है उसे संहनन नाम कर्म कहते हैं।
प्रश्न - संहनन किनके नहीं होता है ?
उत्तर -देवों में , एकेन्द्रिय जीवों में , विग्रह गति में यह संहनन नहीं होता है।
प्रश्न - संहनन नाम कर्म कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर -छह प्रकार का होता है।
उत्तर -बड के पेड़ को न्यग्रोध कहते हैं ।जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर बड़ के पेड़ की भांति नाभि के ऊपर मोटा और नीचे पतला होता है उसे न्यग्रोध परिमंडल संस्थान कहते हैं।
प्रश्न - स्वाति संस्थान किसे कहते हैं ?
उत्तर -स्वाति का अर्थ सर्प की बाँबी है ।जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर सर्प की बाँबी की तरह ऊपर पतला और नीचे मोटा होता है वह स्वाति संस्थान है।
प्रश्न - वामन संस्थान किसे कहते हैं ?
उत्तर -जिस कर्म के उदय से शरीर बौना या नाटा रह जाता है , वह वामन संस्थान है।
प्रश्न - कुब्जक संस्थान किसे कहते हैं ?
उत्तर -जिस कर्म के उदय से शरीर में कूब निकल जाती है अर्थात कुबड़ा शरीर होता है वह कुब्जक संस्थान है।
प्रश्न - हुण्डक संस्थान किसे कहते हैं ?
उत्तर -शरीर का बेडौल या विषम आकृति वाला होना हुण्डक संस्थान है।
प्रश्न- हुण्डक संस्थान वाला किनका शरीर होता है?
उत्तर- नारकियों का शरीर
प्रश्न - अंगोपांग नाम कर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर -जिस कर्म के उदय से शरीर के अंगों (2 हाथ , 2 पैर , नितम्ब , पीठ , हृदय , मस्तक ) और उपांगों (अंगुली, कान , नाक ,आँख आदि ) की रचना होती है , वह अंगोपांग नाम कर्म है ।
प्रश्न -अंगोपांग नाम कर्म कितने प्रकार का है ?
उत्तर -3 प्रकार के होते हैं।
औदारिक शरीर अंगोपांग , वैक्रियक शरीर अंगोपांग , आहारक शरीर अंगोपांग।
प्रश्न - आनुपूर्वी नाम कर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर -एक देह को त्याग कर के नवीन देह धारण करने के लिए जीव की जो गति होती है वह विग्रह गति होती है ।जिस कर्म के उदय से नवीन गति में जाने हेतु जीव के पूर्व शरीर का आकार बना रहता है वह आनुपूर्वी नाम कर्म है ।
प्रश्न - आनुपूर्वी नाम कर्म कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर -चार प्रकार का होता है
नरक गत्यानुपूर्वी , मनुष्य गत्यानुपूर्वी , तिर्यंच गत्यानुपूर्वी , देव गत्यानुपूर्वी।
प्रश्न -संहनन नाम कर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर -जिस कर्म के उदय से हड्डियों का बन्धन विशेष होता है उसे संहनन नाम कर्म कहते हैं।
प्रश्न - संहनन किनके नहीं होता है ?
उत्तर -देवों में , एकेन्द्रिय जीवों में , विग्रह गति में यह संहनन नहीं होता है।
प्रश्न - संहनन नाम कर्म कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर -छह प्रकार का होता है।