चतुर्विध संघ
मुनि का लक्षण - जो समस्त परिग्रहों से रहित होते हैं , नग्न दिगम्बर होते हैं , दिन में एक बार खड़े होकर अपने हाथों में शुद्ध आहार लेते हैं , 28 मूलगुणों का पालन करते हैं , पीछी कमण्डल रखते हैं तथा केशलोंच करते हैं , उन्हें मुनि कहते हैं ।आर्यिका का लक्षण - जो पीछी कमण्डलु रखती हैं , सिर्फ एक साड़ी पहनती हैं , मनियों की तरह महाव्रतों का पालन एवं केशलोंच करती हैं , दिन में एक बार बैठकर हाथ में आहार लेती हैं , उन्हें आर्यिका कहते हैं । इनको वंदामि कहकर नमस्कार करना चाहिए
ऐलक का लक्षण - जो केवल एक लंगोट मात्र पहनते हैं , पीछी कमण्डलु रखते हैं , केशलोंच करते हैं तथा वैठकर हाथ में आहार ग्रहण करते हैं , ग्यारह प्रतिमाओं का पालन करते हैं । इनको नमस्कार करते समय इच्छामि बोलना चाहिए
क्षुल्लक का लक्षण - जो पीछी कमण्डलु रखते हैं , केवल एक लंगोट तथा छोटा दुपट्टा रखते हैं , बैठकर कटोरे में या हाथ में आहार करते हैं , केशलोंच करते हैं या कैंची से भी केश बना सकते हैं , श्रावक की ग्यारह प्रतिमाओं का पालन करते । हैं । इनको नमस्कार करते समय इच्छामि कहना चाहिए ।
क्षुल्लिका का लक्षण - जो चल्लक की तरह सभी क्रियायें करती हैं , एक साड़ी और एक चद्दर रखती हैं , इनको नमस्कार करने समय इच्छामि कहना चाहिए विशेषः - अन्य प्रतिमाधारी श्रावक व श्राविका को वंदना एवं साधर्मी भाई - बहिनों से जयजिनेन्द्र कहना चाहिए
अभ्यास प्रश्न
1 . मुनि किसे कहते हैं ?2 . ऐलक और क्षुल्लका में अन्तर बताइए ।
3 . साधर्मी जनों को क्या कहकर विनय करना चाहिए ?
4 . क्षुल्लक एवं क्षुल्लिका किसे कहते हैं ?