लोकगीत
लोकगीत एवं संगीत
लोकगीत गाँधीजी के शब्दों में - लोकगीत जनता की भाषा है, लोकगीत हमारी संस्कृति के पहरेदार है। राजस्थान के लोक संगीत को कई भागों में बाँटा जा सकता है। जनसाधारण द्वारा विशेष अवसरों पर गाए जाने वाले गीत । राजशाही के प्रभाव के कारण विकसित हुए गीत जिन्हें कई जातियों ने अपना व्यवसाय (पेशा) बना लिया। वे लोकगीत जिनमें क्षेत्रीय प्रभाव झलकता है।
जनसाधारण के लोकगीत
संस्कार संबंधी लोकगीत - सोहल संस्कार व विवाह के अवसर पर गाए जाने वाले लोकगीत।
जच्चा - परिवार में बाल के जन्म पर गाया जाना वाला गीत।
विवाह अवसर पर सगाई, बधावा, रातिजगा, चाकभात, हल्दी, वर-निकासी, बन्ना-बन्नी, हथलेवा, तोरण, कँवर, जीमणवार, जलवा, कांकणडोरा आदि के गीत गाए जाते हैं।
त्योहार व पर्व सम्बन्धी लोकगीत - तीज, होली, गणगौर दीपावली आदि पर अनेक लोकगीत गाए जाते हैं।
ऋतु सम्बन्धी लोकगीत - सावण, हींदा आदि वर्षा ऋतु के लोकगीत हैं। ऋतु गीतों का राजस्थान राज्य में प्रचलन है।
धार्मिक गीत - धार्मिक लोकगीतों में लोकदेवी-देवताओं के गीतों की अधिकता हैं। धार्मिक लोकगीतों में रामदेवजी, तेजाजी, पाबूजी, गोगाजी, ब्रह्म, विष्णु, महेश, गणेश, शीतलामाता, केलादेवी, सतीमाता आदि के लोकगीत मिलते हैं।
अन्य विषयों से सम्बन्धित लोकगीत - राजस्थान की लोक संस्कृति में विविध विषयों के लोकगीत मिलते हैं। ये लोकगीत भावों, प्रसंगों, आकांक्षाओं को प्रकृति के माध्यम से व्यक्त किया जाता है। उदाहरण - पणिहारी, लांगसियो, ईंडोणी, लूर, ओल्यू, सुथणा, हिचकी, गोरबंद, कुरजा, मूमल, कांगा, कांजलिया इत्यादि।
व्यावसायिक जातियों के लोकगीत -
अनेक जातियों ने लोकगीतों को अपनी जीविका का आधार बनाया।
जैसे - भवाई, कालबेलिया, ढोली, लंगा, मीरासी, भाटी, जोगी, कामड़, भोपे आदि। जातियों के व्यावसायिक लोकगीत में माँड, सोरठ, देस, मारु, जोगिया, बिलावल, पीलू आदि कई प्रकार की रागें मिलती है। मरुप्रदेश के लोकगीतों में रतनराणो, मूमल, कुरजां, पीपली, केवड़ा व घूघरी प्रमुख हैं। ये लोकगीत जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर व जैसलमेर क्षेत्र के आकर्षण व मधुर गीत है। पर्वतीय क्षेत्रों के लोकगीतों में बीछियों, पटेल्या व लालर प्रमुख हैं। मैदानी प्रदेश भक्ति व शृंगार रस लोकगीतों की अधिकता है। राजस्थान में श्रृंगार रस, वियोग श्रृंगार, परदेश गमन, शान्तरस और वीर रंसात्मक गीतों का आधिक्य हैं।
राजस्थान के वैवाहिक लोकगीत
विनायक - घर में विनायक स्थापित करते समय गाया जाने वाला गीत।
पीठी - पीठी करते समय गाया जाने वाला लोकगीत।
कूकड़ी - रातिजोगा का अंतिम गीत।
चारा - दूल्हा बनते समय गाए जाने वाले गीत।
काजलियो - दूल्हे की भाभियों द्वारा काजल निकालते समय।
घोड़ी - बारात की निकासी के समय।
फलसड़ा - विवाह के अवसर पर मेहमानों के स्वागत हेतु।
जला - महिलाओं द्वारा बारात का डेरा देखने जाते समय।
बान - महिलाओं द्वारा बान भरते समय।
झिलमिल / कूकङल - झेला-मेला की आरती के समय।
बन्ना - बन्नी - विवाह में फेरों के समय वर-वधू के मीठे झगड़ा।
कामण - फेरा के समय वर-वधू को जादू टोने से बचाने हेतु गाया जाता है।
सीठणे - यह एक व्यंग्यात्मक गाली - गलौच का गीत है।
दुपट्टा - दुल्हन की सहेलियों द्वारा गाया जाने वाला गीत।
जकड़ी - दूल्हे की सालियों एवं दुल्हन की सहेलियों द्वारा युगल रूप से गाया जाता है।
औल्यू - दुल्हन की विदाई के समय गाया जाने वाला गीत।
पापड़ी - दुल्हन के विदाई के समय।
अंगारा - वर पक्ष की महिलाओं द्वारा वधू के स्वागत में गाया जाने वाला लोकगीत।
हीरावणी - वधू को ससुराल में नाश्ता करवाते समय।
अंगोड़ा - वर-वधू द्वारा देवी-देवताओं के पूजन के समय।
जुआ - जुआ-जुई खेलते समय।
साथेला - सुहागचाल के समय गाया जाने वाला लोकगीत।
चिरमी - महिला द्वारा ससुराल में बैठकर पीहर जाने हेतु भाई / पिता की प्रतीक्षा में गाया जाने वाला लोकगीत।
मरसियो - मृत्यु के अवसर पर गाए जाने वाले गीत।
(1) हरजस - मुख्यत: शेखावाटी व बीकानेर क्षेत्र में 100 वर्ष की आयु प्राप्त कर किसी व्यक्ति की मृत्यु पर गाए जाते हैं। मीराबाई के पद ही हरजस कहलाते हैं।
रतनराणा - यह गीत वागङ क्षेत्र (डूँगरपुर-बाँसवाड़ा) में मृत्यु के अवसर पर गाया जाता है।
जन्म से संबंधित लोकगीत
जच्चा / होलर - बच्चे के जन्म के अवसर पर।
पड़ावलियाँ - प्रसूता के सामान्य स्थिति में आने के लिए।
बेमाता - जन्म के पश्चात् अच्छे भाग्य के निर्धारण हेतु।
पीका / पीला - जलवांपूजन / कुआँ पूजन के समय गया जाने वाला गीत।
मायरा / मात से संबंधित गीत
बीरा - भात लेकर आए भाई के स्वागत।
नागर - मायरा / भात भरते समय गाया जाने वाला गीत।
ब्रह्मणी - मायरा / भात की विदाई के समय गाया जाने वाला गीत।
अन्य लोकगीत
कुरजां - कुरजां पक्षी के संदेश के माध्यम से नायिका नायक को घर आने का आग्रह करती । (विरह गीत)
पपैया - अविवाहित कन्या विवाहित पुरुष को मिलने हेतु उपवन में बुलाती है मगर पुरुष नहीं जाता है।
कौआ - पश्चिमी राजस्थान में कौआ पक्षी को मेहमान आगमन का प्रतीक माना जाता है। विरहणी अपने पति के घर आगमन की प्रतीक्षा करते हुए यह गीत गाती है।
मोरिया - मुख्यत: सिरोही क्षेत्र में सगाई के पश्चात् विवाह में हो रही देरी के लिए यह लोकगीत लड़की द्वारा गाया जाता है।
सुवटिया - भील महिला द्वारा अपने पति के विरह में गाया जाने वाला लोकगीत।
फूलचिड़ी - आदिवासी कन्याओं द्वारा अपने होने वाले पति की प्रशंसा में गाया जाने वाला गीत।
गोरबंद - प्रसिद्ध - जैसलमेर पश्चिमी राजस्थान में ऊँट का शृंगार करते समय गाया जाने वाला लोकगीत गोरबंद ऊँट के गले का आभूषण।
झोरावा - प्रसिद्ध - जैसलमेर , यह एक विरह गीत है।
मूमल - प्रसिद्ध - जैसलमेर , लोद्रवा (जैसलमेर) की राजकुमारी मूमल एवं अमरकोट (PAK) के राजकुमार महेन्द्र की प्रेमकथा का वर्णन। महेन्द्र व मूमल की प्रेमकथा मीनाक्षी स्वामी ने लिखी।
महेन्द्र का ऊँट - चीतल इनकी प्रेमकथा काकनेय / काक / मसूरदी नदी के तट पर विकसित।
जीरा - महिला द्वारा अपने पति को जीरा फसल की कठिनाइयों के बारे में बताते हुए जीरा फसल नहीं बोने की सलाह देती।
बिछुड़ा - यह गीत मुख्यत: हाड़ौती क्षेत्र में महिला को बिच्छू काट जाने के पश्चात् अपने पति को दूसरे विवाह का संदेश देने हेतु गाया जाता है।
सुपणा - यह गीत महिला द्वारा सपने में अपने प्रिय की याद आने पर गाया जाता है।
दारूड़ी - पश्चिमी राजस्थान में उत्सव के अवसर पर शराब परोसते समय गाया जाने वाला लोकगीत।
कलाल - शराब क्रेता व विक्रेता के मध्य वाद-विवाद का वर्णन।
दाकां- शराब की प्रशंसा में गाया जाने वाला लोकगीत।
कांगसिया - महिला द्वारा रूप सौन्दर्य / शृंगार का वर्णन करते हुए।
इण्डोणी / पणिहारी - पनघट पर पानी लाते समय।
हूंस - गर्भवती महिला एवं उसकी सास के बीच झगड़े का वर्णन।
चरचरी - यह एक प्रेमगीत है जो हाड़ौती क्षेत्र गाया जाता है।
घुघरी - बच्चे के जन्म पर गाया जाने वाला गीत।
केवड़ा गीत - एक वृक्ष का नाम है।
प्रेमगीत - हाड़ौती क्षेत्र में गाया जाता है।
आंगो - मौरिया - राजस्थान में महिलाओं द्वारा घर की सुख समृद्धि हेतु गाया जाने वाला गीत।
रसिया गीत - मेवात क्षेत्र का गीत। खुशी के अवसर पर गाया जाने वाला गीत।
काछबा - प्रसिद्ध - जैसलमेर, यह एक प्रेमगीत है।
झोरावा - प्रसिद्ध - जैसलमेर , यह भी एक विरह गीत है।
बन्जारा गीत - प्रसिद्ध - मारवाड़ क्षेत्र ,एक व्यावसायिक गीत।
बादली गीत - हाड़ौती एवं मेवाड़ , वर्षा ऋतु में गाया जाने वाला गीत।
पीपली गीत - विरहणी द्वारा वर्षा ऋतु में गाया जाने वाला लोकगीत।
हीड़ - प्रसिद्ध - मेवाड़ क्षेत्र , मेवाड़ क्षेत्र में दीपावली के अवसर पर छोटे बच्चों द्वारा गाया जाने वाला गीत। हीड़ का प्रतीक दीपक होता है।
पंछीड़ा - प्रसिद्ध - हाड़ौती, ढूँढाड़, यह गीत मेलों में गाया जाता है। पंछीड़ा गीत माणिक्य लाल वर्मा ने लिखा।
फाग / धमाल - होली के अवसर पर गाए जाने वाले गीत।
हमसीढ़ो - भीलों का युगल गीत।
अरेठा - भीलों में प्रेमी व प्रेमिका का युगल गीत।
लावणी - यह एक विरह एवं प्रेम गीत है। यह गीत परदेश बैठे पति को बुलाने हेतु गाया जाता है। नायक द्वारा नायिका को उपवन में बुलाने हेतु गाया जाता है।
लांगुरिया गीत - यह एक धार्मिक गीत है जो कैलादेवी के मेले में गाया जाता है।
बिछिया गीत - पर्वतीय क्षेत्रों में आदिवासियों द्वारा मुख्यत: गाया जाता है।
हींडो - सावन मास में पश्चिमी राजस्थान में झूला झूलते समय गाया जाने वाला गीत।
हरण गीत - मेवाड़ क्षेत्र में छोटे बच्चों द्वारा दीपावली के अवसर पर पैसे एकत्रित करते हुए गाए जाने वाले गीत। इसे लोवड़ी गीत भी कहा जाता है।
बधावा - कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य घर पर आयोजित होने पर गाया जाता है। इस गीत को मंग लगान भी कहते हैं।
हिचकी - याद आने का प्रतीक राजस्थान में हिचकी को माना जाता है।
घुड़ला गीत - प्रसिद्ध - जोधपुर, घुड़ला नृत्य व गणगौर के समय आयोजित।
पवाड़े / पावड़े - पाबूजी को समर्पित लोकगीत ।
वीर- पुरुषों का यशोगान करना पवाड़े कहलाते हैं।
तेजागीत - बारिश करवाने एवं फसल को सुरक्षित रखने हेतु गाया जाता है। इसे तेजाटेर भी कहते हैं।
चिरजा – करणी माता व जीण माता की आराधना में गाए जाते हैं।
छावली - लोकदेवता गोगाजी को समर्पित।
लोरी - बच्चे को सुलाने हेतु गाया जाने वाला गीत।
बगड़ावत - देवनारायण की आराधना में गाया जाने वाला लोकगीत।
गढ़ गीत - यह गीत मुख्यत: रजवाड़ों में ढोली, ढाढी व भाट जाति द्वारा गाए जाते हैं।
आजमो - गर्भवती महिला के 8 माह का गर्भ पूर्ण होने पर गाया जाने वाला गीत।
झुलरिया - मायरा / भात भरते समय गाया जाने वाला गीत।
इण्डोणी / पणिहारी - पानी लाते समय गाया जाने वाला गीत।
लसकारिया गीत - यह गीत कच्छी घोड़ी नृत्य के समय गाया जाता है।
अमेणा / भणेत गीत - श्रमिकों द्वारा परिश्रम के पश्चात् अपनी थकावट को दूर करने हेतु।
राजिया - गौना / मुकलावा के समय
सुप्यार दे - त्रिकोणीय प्रेमकथा का वर्णन फतेड़ा / फताला - यह एक प्रेम गीत है।