प्र . 1 प्रदक्षिणा / परिक्रमा किसे कहते हैं एवं कैसे लगाई जाती है ?
उत्तर आत्मनः प्रकृष्टं दक्षिणीकृत्य अयनं गमनमिति प्रदक्षिणा । इस व्युपत्त के अनुसार जो गुणों में श्रेष्ठ हों , उन्हें अपने दक्षिण - पार्श्व दाहिने हाथ की ओर रखते हुए गमन किया जाय वहीं प्रदक्षिणा है । परिक्रमा बायें हाथ से दायें हाथ की तरफ लगाई जाती है ।
प्र . 2 वेदी की परिक्रमा क्यों एवं कितनी लगाई जाती हैं ?
उत्तर भगवान की वेदी गंधकुटी का प्रतीक है और समवशरण में भगवान के चार मुख दिखाई देते हैं ताकि पीछे बैठने वालों को भगवान के दर्शन हो सकें । इसी उद्देश्य को लेकर दर्शन करते समय भगवान के चारों मुखों का अवलोकन करने के लिए वेदी की तीन परिक्रमा लगाई जाती हैं ।
प्र . 3 तीन परिक्रमा क्यों लगाई जाती हैं ?
उत्तर मन , वचन , काय को शुद्ध करने के लिए , जन्म , जरा , मृत्यु को नष्ट करने के लिए , सम्यग्दर्शन , सम्यग्ज्ञान , सम्यकूचारित्र की प्राप्ति के लिए एवं तीनों लोकों में जो भ्रमण चल रहा है , उसको रोकने के लिए तथा तीन लोक के नाथ बनने के लिए तीन परिक्रमा लगाई जाती हैं । आप के अलावा मेरा तीन लोक में कोई दूसरा नहीं है ।
प्र . 4 रात्रि में परिक्रमा लगाना चाहिए या नहीं ।
उत्तर वर्तमान में देखा जाता है कि लाइट के प्रकाश में छोटे - छोटे जीव बहुत आ जाते हैं और लोग प्रमाद के कारण चलने में लापरवाही करते हैं इसलिए रात्रि में परिक्रमा न लगाएँ तो उत्तम है ।