पूजा के भेद
प्रश्न - १ पूजा के कितने भेद हैं ?
उत्तर - पूजा के मुख्यत : दो भेद हैं
भगवती आराधना एवं अमितगति श्रावकाचार के अनुसार :
द्रव्य पूजा - वचन और शरीर का संकोच अर्थात क्रियाओं का निरोध करना । भावपूजा - मन का संकोच अर्थात् समस्त विकल्पों का त्यागकर जिनभक्ति में मन । लगना है ।
प्रश्न - २ क्या पूजन के अन्य भेद भी हैं ?
उत्तर - विधि - विधान पूर्वक विभिन्न अवसरों पर विशेष भक्ति करने के उद्देश्य को लेकर महापुराण में आचार्य जिनसेन ने चार भेद किये हैं । एवं इन्द्रध्वज पूजा के रूप में इसका पाँचवाँ भेद किया है । नित्यमह - प्रतिदिन घर से अष्ट द्रव्य ले जाकर पूजा करना तथा जिनबिम्ब , जिनमंदिर निर्माण करवाना और इनके संरक्षण के लिए गह खेत आदि दान देना । चतुर्मुखमह - महामण्डलेश्वर एवं मुकुट बद्ध राजाओं द्वारा की जाने वाली पूजा । कल्पद्रुममह - चक्रवर्ती द्वारा दान देकर की जाने वाली पजा । आष्टाह्निकमह - सर्वसाधारण जनों द्वारा अष्टाह्निकापर्व में की जाने वाली पूजा । इन्द्रध्वजमह - इन्द्रों के द्वारा की जाने वाली पूजा एवं जिनबिम्ब प्रतिष्ठा आदि । १ . नित्य पूजा - जिन भक्तों के द्वारा प्रतिदिन अभिषेक पूजा आदि को नित्य पूजा कहते हैं । २ . नैमित्तक पूजा - पर्व , उत्सव एवं विशेष प्रसंगों पर किये जाने वाले अभिषेक गीत , नृत्य , प्रतिष्ठा , रथयात्रा आदि नैमित्तक पूजा है ।
प्रश्न - ३ क्या पूजा के अन्य प्रकार से भी भेद किये जा सकते हैं ?
उत्तर : - १ देवपूजा २ शास्त्र पूजा ३ गुरु पूजा ४ तीर्थकर पूजा ५ व्रतपूजा । पर्वपूजा ७ क्षेत्र पूजा आदि भेद भी किये जा सकते हैं ।
प्रश्न - ४ निक्षेप के आधार से पूजा के कितने भेद हैं ?
उत्तर - भक्ति का माध्यम लेकर निक्षेप के आधार पर आचार्य वसुनंदी ने वसुनंदी श्रावकाचार में पूजा के छ : भेद बताये हैं । नाम , स्थापना , द्रव्य , क्षेत्र , काल , एवं भाव पूजा के भेद किये हैं नाम - तीर्थंकर का नाम लेकर उनकी पूजा करना । स्थापना - मूर्ति में मूर्तिमान की स्थापना करके पूजा करना । द्रव्य - अष्ट द्रव्य से अरिहंत देव की पूजा । क्षेत्र - तीर्थंकरों के पंचकल्याणकों के स्थानों की पूजा । काल - तीर्थंकरों के पंचकल्याणकों की तिथियों की पूजा । भाव - भाव की शुद्धि पूर्वक करके अरिहंत देव की पूजा । अन्य प्रकार से भी दो भेद हैं । सापेक्ष पूजा - जो पूजा किसी अपेक्षा पूर्वक की जाती है । निरपेक्ष पूजा - जो पूजा किसी अपेक्षा के बिना की जाती है ।
प्रश्न - पूजन के कितने अंग होते हैं ?
उत्तर - पूजन के छ : अंग होते हैं ।
अभिषेक
आह्वानन
स्थापन
सन्निधिकरण
पूजन
विसर्जन