माँ से बढ़कर कौन ?
' बेटा पानी पिला दो ' ऋषभ की माँ ने कराहते हुए कहा । अभी लाया माँ । पानी का गिलास लेकर आया - ' लो माँ पानी ' ऋषभ बोला । माँ को नींद आ गई थी । ऋषभ गिलास लिए खड़ा रहा माँ के सिरहाने । - पाँच - सात घण्टे बाद गहरी नींद से माँ जागी , देखा , बेटा खड़ा है , हाथ में पानी का गिलास । यह क्या बेटा , कब से खड़े हो यूँ ही ? माँ , तभी से जब से तुमने पानी माँगा था । यह क्या किया बेटे तुमने , मुझे नींद से जगा लिया होता और पानी पिला दिया होता । _ _ _ माँ ! तुम सोई थी । एक महीने से तुम बीमार चल रही हो , कई दिनों बाद आज तुम्हें अच्छी नींद आई थी । ऐसे में तुम्हें जगा देता तो कितनी बेचैनी होती तुम्हें । बेटा ! मेरी बेचैनी तो तुमने देखी , परंतु तुमने यह नहीं सोचा कि तुम सारी रात न सोए , न लेटे , इसी तरह गिलास लिए खड़े हो , बीमार पड़ गए तो . . . . । बेटा ! मेरे तो अब पान पक गए हैं , मेरे लिए क्यों इतनी तकलीफ उठाते हो ? माँ ! क्या कह रही हो ? मैं तो केवल एक रात ही जगा हूँ , तुम तो अब भी 80 वर्ष की आयु में भी मेरी बीमारी में सारी - सारी रत जागती रहती हो । माँ ने सुना , उसकी आँखों से खशी के आँस टपकने लगे । उसने अपने 50 वर्ष के बेटे ऋषभ को अपनी छाती से लगा लिया ।