पाठ - 3
सच्चे देव - शास्त्र - गुरु
देव का लक्षण - जो वीतरागी सर्वज और हितोपदेशी होता है , वह सच्चा देव कहलाता है । अरिहन तीर्थकर जिनेन्द्र परमात्मा और परमेश्वर आदि सच्चे देव के नामान्तर है । ।वीतराग का लक्षण - जो किसी वस्तु या प्राणी से राग ( प्रेम ) तथा द्वेष ( बैर ) नहीं करता , सबको सम दृष्टि से ( बराबर ) देखता है तथा जिसमें अठारह दोष नहीं होते हैं , उसे वीतराग कहते हैं । '
सव का लक्षण - जो कुछ हो चका है , अब हो रहा है और जो कुछ आगे होगा , उन सबको प्रत्येक समय जो प्रत्यक्ष जानता है , वह सर्वज्ञ कहलाता है । संसार में ऐसा कोई भी पदार्थ नहीं जिसे सर्वज्ञ नहीं जानता हो । ।
हितोपदेशी का लक्षण - जो सब जीवों ( प्राणियों ) को हित ( संसार से पार होने ) का उपदेश देता है , उसे हितोपदेशी कहते हैं ।
शास्त्र का लक्षण - जो सच्चे देव का कहा हआ होता है , जिसमें किसी प्रकार का विरोध नहीं होता है , जो । खोटे मार्ग का नाश करता है और जिसके पढ़ने , सुनने से जीवों का कल्याण होता है , वह शास्त्र कहलाता है । जिनागम , जिनवाणी , जैनशासन , वीरशासन , भगवद्वाणी और सरस्वती आदि सच्चे शास्त्र के नामान्तर हैं ।
गुरु का लक्षण - जो इन्द्रियों के विषयों की चाह नहीं रखते , आरम्भ नहीं करते , परिग्रह नहीं रखते तथा जान , ध्यान व तप में लीन तथा पापों से दूर रहते हैं , उन्हें सच्चा गरु कहते हैं ।
गुरु के नामान्तर - ऋषि , मुनि , यति , तपस्वी , योगी , साधु और दिगम्बर आदि गुरु के नामान्तर हैं । अपने शिक्षक को शिक्षा गुरु कहा जाता है और साधु , मुनि को सच्चा गुरु कहा जाता है ।
शिक्षा - इस प्रकार सच्चे देव - शास्त्र - गुरु का स्वरूप जानकर सदा ही उनकी भक्ति , पूजा और सेवा करनी चाहिए , किन्तु रागी , द्वेषी , मिथ्या देवों व साधुओं को कभी भी नहीं पूजना चाहिए । अनाचार , शिथिलता तथा विषय कषाय बढ़ाने वाले मिथ्या शास्त्र भी नहीं पढ़ने चाहिए ।
अभ्यास प्रश्न
1 . सच्चे देव - शास्त्र - गुरु का लक्षण लिखिए ।2 . सच्चे देव तथा शास्त्र के नामान्तर लिखिए ।
3 . फिल्मो उपन्यास और कहानियाँ ये सच्चे शास्त्र हैं या नहीं ?
4 . सर्वज्ञ किसे कहते हैं ?
5 . इस पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?