जम्बूस्वामी
अन्तिम तीर्थकर वर्द्धमानस्वामी के मोक्ष जाने के बाद गौतमस्वामी , सुधर्माचार्य तथा जम्बूस्वामी अनुबद्ध केवली हुए । जम्वस्वामी का जन्म राजगृह नगर में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन राजमान्य सेठ अर्हदास के यहा । हुआ था । इनका माताजी का नाम जिनमती था । ।Shashti पुत्र जम्बूस्वामी का राजा श्रेणिक के दरबार में एवं तत्कालीन समाज में महत्त्वपूर्ण स्थान था । नगर के श्रीमंत अपनी - अपनी गुणवती कन्याओं का विवाह जम्बूस्वामी से कराना चाहते थे तथा पद्मश्री कनकश्री . विनय श्री . रूपश्री इन चार कन्याओं के साथ उनकी सगाई भी पक्की हो गई थी । परन्तु जम्बूस्वामी बचपन से ही वैराग्य रस में गहये थे , वे संसारिक विषयों के मायाजाल में विल्कल फैसना नहीं चाहते थे , इसलिए उन्होंने विवाह करने से साफ इन्कार कर दिया । उनके इस निर्णय पर उक्त चार कन्याओं के पिताओं ने कहा कि आप इनके साथ विवाह तो कर लें , चाहे भले ही बाद में दीक्षा ले लेवें , पर विवाह से इन्कार न करें । क्योंकि वे जानते थे कि ये सर्वांग सुन्दरी कन्यायें , अपने रूप और गुणों के द्वारा जम्बकुमार के मन को अवश्य रंजायमान कर लेंगी और फिर जम्बूकुमार वैराग्य की बातें भूल जावेंगे । बाद में जम्बकुमार का चारों कन्याओं से विवाह भी हो गया ।
विवाह की अगली रात्रि में जब चारों नवपरिणिताओं के साथ जम्बूकुमार थे तब उन चारों नववधुओं ने अपने हाव - भाव , रूप - लावण्य , सेवाभाव एवं बुद्धि - चातुर्य से उनको रिझाने का पूरा प्रयल किया । पर वे जम्बूकुमार के मन को रंचमात्र भी विचलित न कर सकीं । उनके ज्ञान और वैराग्य का प्रभाव तो उस विधुच्चर नामक चोर पर भी पड़ा । जो उसी रात जम्बूस्वामी के महल में चोरी करने आया था , लेकिन जम्बूकुमार तथा उनकी नव - परिणिता स्त्रियों की चर्चा को सुनकर प्रभावित हो गया था ।
प्रातःकाल उन चारों नववधुओं की दृष्टि भी विषयकषाय से हटकर वैराग्यमयी हो गयी और जम्बूस्वामी की मुनिदीक्षा के साथ उन चारों ने भी आर्यिका दीक्षा धारण कर ली । इसी प्रकार विद्युच्चर नामक चोर ने भी अपने 500 साथियों के साथ मुनिदीक्षा धारण कर ली । और सारा वातावरण ही वैराग्यमय हो गया । जम्बूस्वामी मुनि अवस्था को धारणकर निरन्तर आत्मसाधना में मग्न रहने लगे और माघ सुदी सप्तमी के दिन जब उनके गुरु सुधर्माचार्य को निर्वाण हुआ , तब इन्होंने भी केवलज्ञान प्राप्त कर लिया ।
केवली जम्बूस्वामी का उपदेश 18 वर्ष तक भगध से लेकर मथुरा तक के प्रदेशों में निरंतर होता रहा और अन्त में उन्होंने चौरासी मथुरा से निर्वाण पद को प्राप्त किया ।
अभ्यास प्रश्न
1 . जम्बकुमार का जन्म व निर्वाण स्थान का नाम बताइए ।2 जम्बकुमार के माता - पिता का नाम बताइए ।
3 . जम्बकुमार का किन चार कन्याओं के साथ विवाह हआ था ?
4 . जम्बकुमार ने किन से दीक्षा ली थी एवं उनके गुरु को कब निर्वाण हआ था ?
5 . चोरों ने जम्बकुमार के जान और वैराग्य से प्रभावित होकर क्या किया ?