1. णमोकार महामन्त्र मैं किसको नमस्कार किया गया है
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| तीर्थंकरों को | 3 |
| जैन धर्म को | 1 |
| पंच परमेष्ठी को | 823 |
| आदिनाथ भगवान को | 1 |
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| 7वी शताब्दी से | 6 |
| दूसरी शताब्दी से | 2 |
| पता नहीं | 0 |
| अनादिकाल से | 823 |
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| लोक मैं | 51 |
| नमस्कार हो | 767 |
| शत्रु | 0 |
| सभी | 11 |
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| 5 पद, 30 अक्षर, 60 मात्राएँ | 5 |
| 6 पद, 25 अक्षर, 55 मात्रायें | 2 |
| 5 पद, 35 अक्षर, 58 मात्रायें | 817 |
| इनमें से कोई नही | 7 |
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| शरण 6 होती हैं | 12 |
| शरण 3 होती हैं | 22 |
| शरण 5 होती हैं | 83 |
| शरण चार होती हैं | 707 |
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| तीन कल्याणक होते हैं | 29 |
| भगवान के कल्याणक नहीं होते | 128 |
| 5 कल्याणक होते हैं | 666 |
| पता नहीं | 5 |
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| हाथी | 29 |
| सिंह | 7 |
| मगरमच्छ | 763 |
| हिरण | 20 |
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| सुमेरु पर्वत पर | 806 |
| गोपाचल पर्वत पर | 0 |
| कैलाश पर्वत पर | 17 |
| पंचमेरु पर | 5 |
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| वर्धमान भगवान की | 4 |
| मालूम नहीं | 14 |
| सामान्य केवली अथवा सिद्ध परमेष्ठी की | 803 |
| तिर्यंचों की | 7 |
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| जिसको हम देख सकते हैं | 50 |
| जिसको हम स्पर्श कर सकते हैं | 8 |
| जो बड़ा होता है | 1 |
| जिसमें आत्मा पायी जाती है | 766 |
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| कर्म 8 होते हैं | 783 |
| कर्म होते ही नहीं हैं | 1 |
| कर्म पांच होते हैं | 5 |
| जैन धर्मानुसार कर्म 3 होते हैं | 37 |
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| अजीव और संसारी जीव | 23 |
| मुक्तजीव और अजीव | 9 |
| इनमें से कोई नहीं | 5 |
| संसारी जीव और मुक्त जीव | 788 |
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| संसारी जीव की पहचान के चिन्ह को इन्द्रिय कहते हैं | 766 |
| जिससे हमारी आयु बड़े | 2 |
| जिससे हम मन्दिर जी जा सकें | 3 |
| इनमें से कोई नहीं | 54 |
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| भारी | 152 |
| चिकनी | 99 |
| रूखी | 511 |
| हल्की | 58 |
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| अच्छा | 3 |
| मीठा | 3 |
| कषायला | 704 |
| खट्टा | 117 |
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| जिसकी दो इन्द्रिय हों | 31 |
| जो देख सकता है | 6 |
| दो, तीन, चार अथवा पांच इन्द्रिय को त्रसजीव कहते हैं | 753 |
| इन्द्रिय रहित जीव को त्रसजीव कहते हैं | 35 |
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| 5 इन्द्रिय | 41 |
| 3 इन्द्रिय | 729 |
| ये दोनों अजीव हैं | 2 |
| इनमें से कोई नही | 54 |
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| क्या पता | 17 |
| कुछ कह नहीं सकते | 17 |
| उपरोक्त सभी | 13 |
| हां – त्रसजीव है | 775 |
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| जैनी | 37 |
| अजैनी | 24 |
| समनस्क | 705 |
| सभी | 56 |
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| जिसमें बल होता है | 4 |
| जिसमें मन नहीं पाया जाता | 756 |
| संज्ञी को ही असैनी कहते हैं | 57 |
| जो देख सकता है | 5 |
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| पृथ्वीकायिक और वायुकायिक | 46 |
| इसके भेद ही नहीं हैं | 58 |
| जलचर, थलचर, नभचर | 616 |
| पृश्न ही गलत है | 101 |
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| स्थावर जीवों की रसना इन्द्रिय होती है | 46 |
| स्पर्शन इन्द्रिय | 696 |
| स्थावर जीव नहीं होते हैं | 16 |
| पांचों इन्द्रियाँ होती हैं | 59 |
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| हां | 17 |
| पता | 2 |
| वायुकायिक जीव है | 26 |
| नहीं– यह तो अजीव है | 779 |
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| एक इन्द्रिय जीव है | 664 |
| पृश्न ही गलत | 41 |
| ये तो अजीव है | 70 |
| इनमें से कोई नहीं | 50 |
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| नहीं | 157 |
| यह त्रसजीवों में आता है | 52 |
| अभ्रक जीव नहीं होता | 261 |
| हां | 342 |
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| जिसका जल ही शरीर होता है | 17 |
| वनस्पतिकायिक तो अजीव होते हैं | 10 |
| दोनों ही सही हैं | 4 |
| वनस्पति ही जिस जीव का शरीर होता है उसे वनस्पतिकायिक जीव कहते हैं | 797 |
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| जिससे हमें सुख मिलता है | 3 |
| कषाय की परिभाषा नहीं होती | 3 |
| जो आत्मा को कसता है एवं दुख देता है उसे कषाय कहते हैं | 818 |
| जिससे हमारी इक्षा पूरी हो | 3 |
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| मान कषाय | 817 |
| क्रोध कषाय | 7 |
| पता नहीं | 2 |
| तीनों ही सही हैं | 2 |
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| पाप | 42 |
| लोभ कषाय | 756 |
| तृष्णा करने को धर्म कहते हैं | 16 |
| क्रोध | 11 |
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| नरकगति का | 118 |
| देवगति का | 2 |
| मनुष्यगति का | 10 |
| तिर्यंच गति का | 699 |
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| अनन्त | 7 |
| 12 भेद हैं | 5 |
| पाप के 15 भेद होते हैं | 9 |
| पाप 5 होते हैं | 807 |
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| हिंसा पाप | 229 |
| कुशील पाप | 569 |
| झूठ पाप | 20 |
| चोरी पाप | 8 |
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| परिग्रह | 820 |
| पता नहीं | 1 |
| दोनों ही सही हैं | 2 |
| इनमें से कोई नहीं | 1 |
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| नरक एक होता है | 11 |
| पता नहीं | 1 |
| नरक नहीं होते हैं | 0 |
| नरक 7 होते हैं | 815 |
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| कोई नहीं होते | 112 |
| होते होंगे लेकिन हमें पता नहीं | 17 |
| सिद्ध परमेष्ठी | 664 |
| तीनों ही विकल्प सही हैं | 31 |
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| नारकी जीवों की इन्द्रियाँ नहीं होती | 40 |
| 5 इन्द्रियाँ होती हैं | 633 |
| यह तो विकलत्रय जीवों में आते हैं | 125 |
| 4 इन्द्रियाँ होती हैं | 23 |
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| कहीं भी | 692 |
| उनका मरण नहीं होता | 9 |
| सिर्फ देवगति मैं जा सकते हैं | 36 |
| नरक गति मैं ही | 88 |
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| नहीं | 41 |
| देव तो अमर होते हैं | 31 |
| कभी-कभी मरण होता है | 13 |
| हां– उनका भी मरण होता है | 740 |
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| यमुना नदी | 2 |
| वैतरणी नदी | 748 |
| त्रिवेणी नदी | 16 |
| वहां नदी नहीं होती | 59 |
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| चारों ही | 0 |
| पता नहीं | 2 |
| देवगति | 55 |
| मनुष्यगति | 766 |
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| बहुत सारे | 60 |
| 19 | 25 |
| 3 होते हैं | 637 |
| 28 | 93 |
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| ओम जय जय | 45 |
| णमोकार महामन्त्र | 1 |
| निःसहि–निःसहि–निःसहि | 765 |
| कुछ भी बोल सकते हैं | 17 |
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| 3 प्रदक्षिणा देनी चाहिए | 818 |
| जितनी चाह | 4 |
| बिल्कुल नहीं | 2 |
| सिर्फ एक ही | 1 |
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| विटामिन A | 12 |
| कोई नहीं | 2 |
| विटामिन D | 783 |
| विटामिन A और C | 31 |
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| ओम नमः | 4 |
| जय हो - जय हो | 20 |
| चत्तारिदण्डक | 3 |
| असहि–असहि–असहि | 799 |
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| 36450 | 804 |
| पानी मैं जीव नहीं होते | 1 |
| 10 हजार | 0 |
| अनंत | 19 |
| 36540 | 1 |
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| 3 घण्टे तक कि | 20 |
| 48 मिनट तक कि | 772 |
| 24 घन्टे तक कि | 21 |
| 48 घण्टे तक कि | 12 |
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| रंगीन कपड़े से | 0 |
| पतले कपड़े से | 6 |
| सिंगल कपड़े से | 1 |
| दुहरे एवं मोटे छन्ने से | 819 |