उद्यायन राजा
वत्सदेश में शेखपुर नगर के राजा उद्दायन बहुत ही धर्मनिष्ठ थे । उनकी रानी का नाम प्रभावती था । एक समय सौधर्मइन्द्र ने अपनी सभा में सम्यक्त्व गुण की प्रशंसा करते हुए निर्विचिकित्सा अङ्ग में राजा उद्दायन की । भूरि - भूरि प्रशंसा की । इस प्रशंसा को सुनकर सभी देव राजा उदायन से अत्यन्त प्रभावित हए । तब एक देव उदायन राजा एव । उनकी रानी प्रभावती की परीक्षा लेने के लिए कुष्ठरोग से ग्रसित अत्यन्त दर्गन्धित शरीर में , रलत्रय से पवित्र दिगम्बर मुनि मुद्रा का रूप धारण कर , आहारचर्या के लिए शेखपर नगर में निकल पड़ा । शरीर की दुर्गन्ध से नगर के समस्त श्रावक उन्हें देखते ही भाग गये , किन्तु उद्दायन राजा एवं रानी प्रभावती । ने बड़ी भक्ति व विनय से मुनि का पड़गाहन किया और नवधाभक्ति पूर्वक आहारदान दिया । अधिक परीक्षा लेने के । लिए उन्होंने आहार के बाद दुर्गन्धित वमन कर दिया । जिसकी बदब से महल के सभी दासी दास भाग गये । किन्तु | उद्दायन राजा और रानी प्रभावती , विनय से मुनिराज की सुश्रुषा करते हुए अपने ही आहार दान की निन्दा करने लगे । तभी अचानक वह मुनि वास्तविक देव पर्याय में प्रकट हो , राजा और रानी की प्रशंसा करने लगा । उसने उनका सम्मान किया और फिर अपने स्थान चला गया । कालान्तर में राजा उदायन संसार तथा भोगों से विरक्त हो , कर्मों को नष्ट कर मोक्ष चले गये और रानी प्रभावती ने आगामी पर्याय में स्वर्ग प्राप्त किया । इसलिए हमें कभी भी अपने देव , शास्त्र , गुरु के स्वरूप को देखकर ग्लानि नहीं करनी चाहिए बल्कि अटट श्रद्धा के साथ अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए ।
अभ्यास प्रश्न
1 . उद्दायन राजा किस देश के किस नगर का राज्य करते थे ?
2 . देव ने कैसा रूप बनाया ?
3 . राजा उद्दायन एवं रानी प्रभावती आगे कहाँ उत्पन्न हुए ?
4 . देव मुनि बनकर आहार चर्या के लिये किस नगर में आया था ?
5 . किस अङ्ग में राजा उद्ददायन की भूरि - भूरि प्रशंसा की जाती है ? |