
Jain Mahapurus - जैन महापुरुष

जैन महापुरुष महापुरुष : - जो पुरुष वासनाओं , विकारों , कषायों आदि के दास न बनकर आत्मावलंबी हो अपने य धर्म को उज्जवल ब…
जैन महापुरुष महापुरुष : - जो पुरुष वासनाओं , विकारों , कषायों आदि के दास न बनकर आत्मावलंबी हो अपने य धर्म को उज्जवल ब…
राजा श्रीपाल एवं मैना सुन्दरी चम्पापुर के राजा का नाम अरिदमन और रानी का नाम कुन्दप्रभा था । रानी कुन्दप्रभा , कुन्दपु…
जिनवाणी स्तुति मिथ्यातम नासवे को , ज्ञान के प्रकाशवे को । आपा पर भासवे को , भानु सी बखानी है । छहों द्रव्य जानवे को …
प्रार्थना हे प्रभु ज्ञान का दान दो , हम सभी की यही वंदना । दूर दुर्गुण सभी तुम करो , हम सभी की यही प्रार्थना ॥ टेक ॥ …
चतुर्विध संघ मुनि का लक्षण - जो समस्त परिग्रहों से रहित होते हैं , नग्न दिगम्बर होते हैं , दिन में एक बार खड़े होकर अ…
तीर्थंकर नेमिनाथ जम्बद्वीप सम्बन्धी भरत क्षेत्र के कशार्थ देश में शौर्यपुर । द्वारावती नगरी के हरिवंश शिखामणि राजा । स…
पंचकल्याणक कल्याणक का लक्षण तीर्थकरों के निमित्त से देवों के द्वारा मनाया जाने वाला उत्सव कल्याणक कहलाता है । अथवा द…
प्रमुख जैनाचार्य 1 . अंतिम श्रतकेवली आचार्य भद्रबाहु स्वामी दक्षिण भारत में जैनसंघ के प्रभाव में उल्लेखनीय वृद्धि का…
दशलक्षण पर्व सम्पूर्ण हिन्दी मासों में भाद्रपद का मास सबसे पवित्र है क्योंकि इस मास में सबसे अधिक व्रत आते हैं । जैसे :…
रत्नत्रय सम्यग्दर्शन का लक्षण व भेद सच्चे श्रद्धान ( विश्वास या यकीन ) को सम्यग्दर्शन कहते हैं । निश्चय सम्यग्दर्शन औ…
समवशरण तीर्थकर भगवान् की उपदेश सभा को समवशरण कहत हैं । इसमें प्रत्येक प्राणी को समानतापूर्वक शरण मिलती है इसलिए समवशरण…
जिनवाणी स्तुति - 01 सांची तो गंगा यह वीतराग वानी , अविच्छिन्न धारा निज धर्म की कहानी ॥ टेक ॥ जामें अति ही विमल , अग…
हमारे दैनिक कर्तव्य 1 . सूर्य उदय से पहले उठना चाहिए । 2 . सुबह उठते ही णमोकार मंत्र बोलना चाहिए । 3. सुबह माता - प…
उद्यायन राजा वत्सदेश में शेखपुर नगर के राजा उद्दायन बहुत ही धर्मनिष्ठ थे । उनकी रानी का नाम प्रभावती था । एक समय सौधर्…
भेद - विज्ञान जिनवाणी अर्थात सच्चे दिगम्बर जैन शास्त्रों का अध्ययन करके और उनका बार - बार चिंतन करके ऐसा पक्का दृढ़ वि…
श्रावक के षट् आवश्यक कर्म प्रत्येक मानव सुख शान्ति चाहता है और सुख शान्ति धर्म कार्य से प्राप्त होती है । अत : धर्म का…
सेठ सुदर्शन aangdesh में champanagari की राजधानी में वृषभदत्त नामक एक सठ रहता था । जिसकी अहंददासी namak patni ti. usi …
जय आदिनाथ स्वामी, बाबा जय आदिनाथ स्वामी । जय आदिनाथ स्वामी, बाबा जय आदिनाथ स्वामी । दुखहारी सुखकारी तुम हो, दुखहारी सु…
जगमग जगमग आरती कीजै, आदिश्वर भगवान की । प्रथम देव अवतारी प्यारे, तीर्थंकर गुणवान की । जगमग० अवधपुरी में जन्मे स्वामी,…
जय जय आरती आदि जिणंदा, नाभिराया मरुदेवी को नन्दाः ॥ पहेली आरती पूजा कीजे, नरभव पामीने लाहो लीजे, जय जय आरती आदि जिणंदा…
करते हैं प्रभु की आरती, आतम की ज्योति जलेगी । प्रभुवर अनंत की भक्ति, सदा सोख्य भरेगी, सदा सोख्य भरेगी ॥ हे त्रिभुवन स्…
जयति जय जय गोम्मटेश्वर, जयति जय बाहुबली । जयति जय भरताधिपति, विजयी अनुपम भुजबली । श्री आदिनाथ युगादिब्रह्मा त्रिजगपति …
बाजे छम छम छम छमा छम बाजे घुँघरू बाजे घुँघरू० हाथों में दीपक लेकर आरती करूँ बाजे छम छम० प्रभु को उठाया हाथी पे बैठाया …
जय श्री अजित प्रभु, स्वामी जय श्री अजित प्रभु । कष्ट निवारक जिनवर, तारनहार प्रभु ॥ पिता तुम्हारे जितशत्रू और, माँ विजया…
म्हारा चन्द्र प्रभु जी की सुन्दर मूरत, म्हारे मन भाई जी ॥ टेक सावन सुदि दशमी तिथि आई, प्रगटे त्रिभुवन राईजी ॥ अलवर प्रा…
जय चंद्रप्रभु देवा, स्वामी जय चंद्रप्रभु देवा । जय चंद्रप्रभु देवा, स्वामी जय चंद्रप्रभु देवा । तुम हो विघ्न विनाशक स्व…
जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो । कुण्डलपुर अवतारी, त्रिशलानन्द विभो ।। ऊँ जय महावीर प्रभो ।। सिद्धारथ घर जन्म…
करौं आरती वर्द्धमानकी । पावापुर निरवान थान की ॥ टेक राग बिना सब जगजन तारे । द्वेष बिना सब कर्म विदारे । शील धुरंधर शिव…
जय मुनिसुव्रतनाथ स्वामी, प्रभु मुनिसुव्रतनाथ स्वामी जय मुनिसुव्रतनाथ स्वामी, प्रभु मुनिसुव्रतनाथ स्वामी भक्ति भाव से प…
जय नेमीनाथ स्वामी, प्रभु जय नेमीनाथ स्वामी जय नेमीनाथ स्वामी, प्रभु जय नेमीनाथ स्वामी तुम हो भव दधि तारक प्रभु जी, तुम…
ऊँ जय मुनिसुव्रतस्वामी, प्रभु जय मुनिसुव्रतस्वामी । भक्ति भाव से प्रणमूं, जय अंतरयामी ।। ऊँ जय० राजगृही में जन्म लिया …
आरती करो रे, आरती करो रे । आरती करो रे, आरती करो रे ॥ तेरहवे जिनवर विमलनाथ की आरती करो रे, आरती करो रे । कृतवर्मा प…
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे २ स्वर्ण वर्णमय …
शांतिनाथ भगवान की हम आरती उतारेंगे। आरती उतारेंगे हम आरती उतारेंगे आरती उतारेंगे हम आरती उतारेंगे शांतिनाथ भगवान… हस्त…
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी । पंचकल्याणक अधिपति २, तुम अन्तरयामी ॥ ॐ जय वासुपूज्य स्वामी० चंपापुर…
ॐ जय शीतलनाथ स्वामी, स्वामी जय शीतलनाथ स्वामी । घृत दीपक से करू आरती, घृत दीपक से करू आरती । तुम अंतरयामी, ॐ जय शीतलना…
जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी । जय शांतिनाथ स्वामी, प्रभु जय शांतिनाथ स्वामी । मन वच तन से, तुमको वन्दु…
ओम जय पुष्पदन्त स्वामी, प्रभु जय पुष्पदंत स्वामी । काकंदी में जन्मे, त्रिभुवन नामी, ओम सब उतारे तेरी आरती ॥ ओम जय पु…
ऊँ जय पारस देवा स्वामी जय पारस देवा । सुर नर मुनिजन तुम चरणन की करते नित सेवा । ऊँ जय० पौष वदी ग्यारस काशी में आनन्द अ…
यह विधि मंगल आरती कीजे, पंच परम पद भज सुख लीजे । पहली आरती श्री जिनराजा, भव दधि पार उतार जिहाजा । यह विधि मंगल आरती की…
जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा । जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा । तुम बिन कौन जगत में मेरा २…
तीर्थंकर शान्तिनाथ एक समय हस्तिनापुर नगरी में काश्यपगोत्री महाराज विश्वसेन राज्य करते थे । गान्धार नरेश के राजा । अज…
मिथ्यात्व तत्वों पर यथार्थ श्रद्धान नहीं होना ही मिध्यात्व है अथवा सच्चे देव , शास्त्र , गुरु पर श्रद्धानन करना या झट…